tum par laakho.n salaam, aaqa !
tum par laakho.n salaam, aaqa !
sab se aa'la 'izzat waale !
Galba-o-qahr-o-taaqat waale !
hurmat waale ! karaamat waale !
tum par laakho.n salaam
tum par laakho.n salaam, aaqa !
tum par laakho.n salaam, aaqa !
aap ka chaaha rab ka chaaha
rab ka chaaha aap ka chaaha
rab se aisi chaahat waale !
tum par laakho.n salaam
tum par laakho.n salaam, aaqa !
tum par laakho.n salaam, aaqa !
rab ke pyaare ! raaj-dulaare !
ham hai.n tumhaare, tum ho hamaare
ai daamaan-e-rahmat waale !
tum par laakho.n salaam
tum par laakho.n salaam, aaqa !
tum par laakho.n salaam, aaqa !
'arsh-e-'ula par rab ne bulaaya
apna jalwa-e-KHaas dikhaaya
KHalwat waale ! jalwat waale !
tum par laakho.n salaam
tum par laakho.n salaam, aaqa !
tum par laakho.n salaam, aaqa !
taKHt tumhaara 'arsh KHuda ka
mulk-e-KHuda hai mulk tumhaara
rab ki aa'la KHilaafat waale !
tum par laakho.n salaam
tum par laakho.n salaam, aaqa !
tum par laakho.n salaam, aaqa !
de diye tum ko apne KHazaane
rabb-e-'izzat rabb-e-'ula ne
dono.n jahaa.n ki ne'mat waale !
tum par laakho.n salaam
tum par laakho.n salaam, aaqa !
tum par laakho.n salaam, aaqa !
tum ko dekha haq ko dekha
aap ki soorat us ka jalwa
achchhi achchhi soorat waale !
tum par laakho.n salaam
tum par laakho.n salaam, aaqa !
tum par laakho.n salaam, aaqa !
soorat-e-aqdas se haq zaahir
kalima pa.Dhte dekh ke kaafir
ai haqqaani soorat waale !
tum par laakho.n salaam
tum par laakho.n salaam, aaqa !
tum par laakho.n salaam, aaqa !
chashm-e-sar ne haq ko dekha
dil ne haq ko haq hi jaana
ai haqqaani soorat waale !
tum par laakho.n salaam
tum par laakho.n salaam, aaqa !
tum par laakho.n salaam, aaqa !
aap ka saaya kaise hota
aap hai.n noor-e-haq ka saaya
zill-e-rahmat tal'at waale !
tum par laakho.n salaam
tum par laakho.n salaam, aaqa !
tum par laakho.n salaam, aaqa !
aap ka dam hai farsh ki zeenat
aur qadam hai 'arsh ki zeenat
husn-o-jamaal-o-lataafat waale !
tum par laakho.n salaam
tum par laakho.n salaam, aaqa !
tum par laakho.n salaam, aaqa !
KHwaab me.n jalwa apna dikhaao
Noori ko tum noori banaao
ai chamkeeli rangat waale
tum par laakho.n salaam
tum par laakho.n salaam, aaqa !
tum par laakho.n salaam, aaqa !
Poet:
Mustafa Raza Khan Qadri Noori
Naat-Khwaan:
Qari Khalil Attari
Maulana Bilal Raza Qadri
तुम पर लाखों सलाम, आक़ा !, तुम पर लाखों सलाम, आक़ा !
सब से आ'ला 'इज़्ज़त वाले ! ग़लबा-ओ-क़हर-ओ-ताक़त वाले !
हुरमत वाले ! करामत वाले ! तुम पर लाखों सलाम
तुम पर लाखों सलाम, आक़ा !, तुम पर लाखों सलाम, आक़ा !
तुम पर लाखों सलाम, आक़ा !, तुम पर लाखों सलाम, आक़ा !
आप का चाहा रब का चाहा, रब का चाहा आप का चाहा
रब से ऐसी चाहत वाले ! तुम पर लाखों सलाम
तुम पर लाखों सलाम, आक़ा !, तुम पर लाखों सलाम, आक़ा !
तुम पर लाखों सलाम, आक़ा !, तुम पर लाखों सलाम, आक़ा !
रब के प्यारे ! राज-दुलारे ! हम हैं तुम्हारे, तुम हो हमारे
ए दामान-ए-रहमत वाले ! तुम पर लाखों सलाम
तुम पर लाखों सलाम, आक़ा !, तुम पर लाखों सलाम, आक़ा !
तुम पर लाखों सलाम, आक़ा !, तुम पर लाखों सलाम, आक़ा !
'अर्श-ए-'उला पर रब ने बुलाया, अपना जल्वा-ए-ख़ास दिखाया
ख़ल्वत वाले ! जल्वत वाले ! तुम पर लाखों सलाम
तुम पर लाखों सलाम, आक़ा !, तुम पर लाखों सलाम, आक़ा !
तुम पर लाखों सलाम, आक़ा !, तुम पर लाखों सलाम, आक़ा !
तख़्त तुम्हारा 'अर्श ख़ुदा का, मुल्क-ए-ख़ुदा है मुल्क तुम्हारा
रब की आ'ला ख़िलाफ़त वाले ! तुम पर लाखों सलाम
तुम पर लाखों सलाम, आक़ा !, तुम पर लाखों सलाम, आक़ा !
तुम पर लाखों सलाम, आक़ा !, तुम पर लाखों सलाम, आक़ा !
दे दिए तुम को अपने ख़ज़ाने, रब्ब-ए-'इज़्ज़त रब्ब-ए-'उला ने
दोनों जहाँ की ने'मत वाले ! तुम पर लाखों सलाम
तुम पर लाखों सलाम, आक़ा !, तुम पर लाखों सलाम, आक़ा !
तुम पर लाखों सलाम, आक़ा !, तुम पर लाखों सलाम, आक़ा !
तुम को देखा हक़ को देखा, आप की सूरत उस का जल्वा
अच्छी अच्छी सूरत वाले ! तुम पर लाखों सलाम
तुम पर लाखों सलाम, आक़ा !, तुम पर लाखों सलाम, आक़ा !
तुम पर लाखों सलाम, आक़ा !, तुम पर लाखों सलाम, आक़ा !
सूरत-ए-अक़दस से हक़ ज़ाहिर, कलिमा पढ़ते देख के काफ़िर
ए हक़्क़ानी सूरत वाले ! तुम पर लाखों सलाम
तुम पर लाखों सलाम, आक़ा !, तुम पर लाखों सलाम, आक़ा !
तुम पर लाखों सलाम, आक़ा !, तुम पर लाखों सलाम, आक़ा !
चश्म-ए-सर ने हक़ को देखा, दिल ने हक़ को हक़ ही जाना
ए हक़्क़ानी सूरत वाले ! तुम पर लाखों सलाम
तुम पर लाखों सलाम, आक़ा !, तुम पर लाखों सलाम, आक़ा !
तुम पर लाखों सलाम, आक़ा !, तुम पर लाखों सलाम, आक़ा !
आप का साया कैसे होता, आप हैं नूर-ए-हक़ का साया
ज़िल्ल-ए-रहमत तल'अत वाले ! तुम पर लाखों सलाम
तुम पर लाखों सलाम, आक़ा !, तुम पर लाखों सलाम, आक़ा !
तुम पर लाखों सलाम, आक़ा !, तुम पर लाखों सलाम, आक़ा !
आप का दम है फ़र्श की ज़ीनत और क़दम है 'अर्श की ज़ीनत
हुस्न-ओ-जमाल-ओ-लताफ़त वाले ! तुम पर लाखों सलाम
तुम पर लाखों सलाम, आक़ा !, तुम पर लाखों सलाम, आक़ा !
तुम पर लाखों सलाम, आक़ा !, तुम पर लाखों सलाम, आक़ा !
ख़्वाब में जल्वा अपना दिखाओ, नूरी को तुम नूरी बनाओ
ए चमकीली रंगत वाले ! तुम पर लाखों सलाम
तुम पर लाखों सलाम आक़ा, तुम पर लाखों सलाम आक़ा
तुम पर लाखों सलाम आक़ा, तुम पर लाखों सलाम आक़ा
शायर:
मुस्तफ़ा रज़ा ख़ान क़ादरी नूरी
ना'त-ख़्वाँ:
क़ारी ख़लील अत्तारी
मौलाना बिलाल रज़ा क़ादरी