ham KHushi manaaenge, tum jalo ya mar jaao
naa't gungunaaenge, tum jalo ya mar jaao
mustafa ki aamad par sabz rang ka jhanda
chhat pe ham lagaaenge, tum jalo ya mar jaao
mustafa ki 'azmat par, 'izzat-e-payambar par
jaan ham luTaaenge, tum jalo ya mar jaao
maslak-e-raza, beshak ! raasta hai jannat ka
sab ko ye bataaenge, tum jalo ya mar jaao
yaad kar ke aKHtar ki chaand jaisi soorat ko
dil ko jagmagaaenge, tum jalo ya mar jaao
apne pyaare aKHtar ka, 'ilm ke samundar ka
naa'ra ham lagaaenge, tum jalo ya mar jaao
mustafa ki galiyo.n ki KHaak, ham raza waale
aankh me.n lagaaenge, tum jalo ya mar jaao
ham barelvi, Aafaaq ! 'urs-e-aa'la-hazrat me.n
girte-pa.Dte jaaenge, tum jalo ya mar jaao
Naat-Khwaan:
Mohammad Ali Faizi
Shadab-o-Paikar
हम ख़ुशी मनाएँगे, तुम जलो या मर जाओ
ना'त गुनगुनाएँगे, तुम जलो या मर जाओ
मुस्तफ़ा की आमद पर सब्ज़ रंग का झंडा
छत पे हम लगाएँगे, तुम जलो या मर जाओ
मुस्तफ़ा की 'अज़मत पर, 'इज़्ज़त-ए-पयम्बर पर
जान हम लुटाएँगे, तुम जलो या मर जाओ
मस्लक-ए-रज़ा, बेशक ! रास्ता है जन्नत का
सब को ये बताएँगे, तुम जलो या मर जाओ
याद कर के अख़्तर की चाँद जैसी सूरत को
दिल को जगमगाएँगे, तुम जलो या मर जाओ
अपने प्यारे अख़्तर का, 'इल्म के समुंदर का
ना'रा हम लगाएँगे, तुम जलो या मर जाओ
मुस्तफ़ा की गलियों की ख़ाक, हम रज़ा वाले
आँख में लगाएँगे, तुम जलो या मर जाओ
हम बरेलवी, आफ़ाक़ ! 'उर्स-ए-आ'ला-हज़रत में
गिरते-पड़ते जाएँगे, तुम जलो या मर जाओ
ना'त-ख़्वाँ:
मुहम्मद अली फ़ैज़ी
शादाब-ओ-पैकर