तू कुजा, मन कुजा ! तू कुजा, मन कुजा !
बलग़ल उ़ला बिकमालिहि, कशफ-द्दुजा बिजमालिहि
हसुनत जमीउ़ खि़सालिहि, स़ल्लू अ़लयहि व आलिहि
तू कुजा, मन कुजा ! तू कुजा, मन कुजा !
तू कुजा, मन कुजा ! तू कुजा, मन कुजा !
तू अमीर-ए-हरम, मैं फ़क़ीर-ए-अ'जम
तेरे गुन और ये लब, मैं तलब ही तलब
तू अता ही अता !
तू कुजा, मन कुजा ! तू कुजा, मन कुजा !
तू कुजा, मन कुजा ! तू कुजा, मन कुजा !
इल्हाम जामा है तेरा, क़ुरआँ अमामा है तेरा
मिम्बर तेरा अर्श-ए-बरीं, या रहमतल-लिल-आ'लमीन !
तू कुजा, मन कुजा ! तू कुजा, मन कुजा !
तू कुजा, मन कुजा ! तू कुजा, मन कुजा !
तू हक़ीक़त है, मैं सिर्फ़ एहसास हूँ
तू समुंदर, मैं भटकी हुई प्यास हूँ
मेरा घर ख़ाक पर और तेरी रह-गुज़र
सिद्रतुल-मुंतहा !
तू कुजा, मन कुजा ! तू कुजा, मन कुजा !
तू कुजा, मन कुजा ! तू कुजा, मन कुजा !
ख़ैरुल-बशर रुत्बा तेरा, आवाज़-ए-हक़ ख़ुत्बा तेरा
आफ़ाक़ तेरे सामईन, या रहमतल-लिल-आ'लमीन !
तू कुजा, मन कुजा ! तू कुजा, मन कुजा !
तू कुजा, मन कुजा ! तू कुजा, मन कुजा !
डगमगाऊँ जो हालात के सामने
आए तेरा तसव्वुर मुझे थामने
मेरी ख़ुश-क़िस्मती, मैं तेरा उम्मती
तू जज़ा, मैं रिज़ा !
तू कुजा, मन कुजा ! तू कुजा, मन कुजा !
तू कुजा, मन कुजा ! तू कुजा, मन कुजा !
अल्लाहुम्म स़ल्लि अ़ला सय्यिदिना मुह़म्मदिन
अल्लाहुम्म स़ल्लि अ़ला सय्यिदिना मुह़म्मदिन
साहिब-ए-ताज वो, शाह-ए-मेअ'राज वो
शह-सवार-ए-बुराक़-ओ-अमीर-ए-अ'लम
दाफ़े-ए-हर-बला, दाफ़े-ए-हर-वबा
दाफ़े-ए-क़हत-ओ-ग़म, दाफ़े-ए-रंज-ओ-अलम
दाफ़े-ए-रंज-ओ-अलम, दाफ़े-ए-रंज-ओ-अलम
मेरे आक़ा, सफ़-ए-अम्बिया के इमाम
नाम पर जिन के लाज़िम दुरूद-ओ-सलाम
लाज़िम दुरूद-ओ-सलाम, लाज़िम दुरूद-ओ-सलाम
सब से औला व आ’ला हमारा नबी
सब से बाला व वाला हमारा नबी
अपने मौला का प्यारा हमारा नबी
दोनों अ़ालम का दूल्हा हमारा नबी
वो है हमारा नबी, वो है हमारा नबी
कौन देता है देने को मुँह चाहिए
देने वाला है सच्चा हमारा नबी
सच्चा हमारा नबी, सच्चा हमारा नबी
तू कुजा, मन कुजा ! मुस्तफ़ा ! मुजतबा !
ख़ातिमुल-मुर्सलीन ! या रहमतल-लिल-आ'लमीन !
तू कुजा, मन कुजा ! तू कुजा, मन कुजा !
तू कुजा, मन कुजा ! तू कुजा, मन कुजा !
तू है एहराम-ए-अनवार बाँधे हुए
मैं दुरूदों की दस्तार बाँधे हुए
का'बा-ए-इश्क़ तू, मैं तेरे चार-सू
तू असर, मैं दुआ !
तू कुजा, मन कुजा ! तू कुजा, मन कुजा !
तू कुजा, मन कुजा ! तू कुजा, मन कुजा !
दूरियाँ सामने से जो हटने लगें
जालियों से निगाहें लिपटने लगें
आँसुओं की ज़बाँ हो मेरी तर्जुमाँ
दिल से निकले सदा !
तू कुजा, मन कुजा ! तू कुजा, मन कुजा !
तू कुजा, मन कुजा ! तू कुजा, मन कुजा !
शायर:
मुज़फ़्फ़र वारसी
नात-ख़्वाँ:
ओवैस रज़ा क़ादरी