chiraag-e-chisht, shaah-e-auliya, ghareeb-nawaaz
mere huzur, mere peshwaa, ghareeb-nawaaz
teri shaan khwaaja-e-khwaajgaan
bu badaa ghareeb-nawaaz hai
tu mu'een-e-ummat-e-mustafa
tu saboot-e-rahmat-e-mustafa
tu 'ataa-e-meer-e-hijaaz hai
tu badaa ghareeb-nawaaz hai
hamei.n tune apna banaa liya
hamei.n do jahaa.n se bacha liya
tujhe ghamzado.n ka khayaal hai
tu badaa ghareeb-nawaaz hai
na gine gaye wo shumaar se
jo pale hei.n tere dayaar se
tera dast-e-jood daraaz hai
tu badaa ghareeb-nawaaz hai
hasan husain se hai aapko nisbat
nabi ki aal ho, 'ali ke laal ho
bayaa.n ho kis zubaa.n se aapki 'azmat
mustafa ne tumhe hind bhejaa, tum muraad-e-nabi ho
hind jis se munawwar hua hai, aap wo roshni ho
rizaa-e-mustafa, habeeb-e-kibriyaa
zamee.n kya hai, falak par aapki shohrat
'ataa-e-mustafa, mere khwaaja piya
hasan husain se hai aapko nisbat
nabi ki aal ho, 'ali ke laal ho
bayaa.n ho kis zubaa.n se aapki 'azmat
hasan husain se hai aapko nisbat
nabi ki aal ho, 'ali ke laal ho
bayaa.n ho kis zubaa.n se aapki 'azmat
ek muddat se hai dil mei.n armaan mai.n bhi ajmer jaau.n
thaam kar tumre roze ki jaali haal dil ka sunaau.n
dil-e-be-taab ki sadaa sun lo sakhi
dikhaa dijiye mujhe wo hasee.n turbat
'ataa-e-mustafa, mere khwaaja piya
hasan husain se hai aapko nisbat
nabi ki aal ho, 'ali ke laal ho
bayaa.n ho kis zubaa.n se aapki 'azmat
hasan husain se hai aapko nisbat
nabi ki aal ho, 'ali ke laal ho
bayaa.n ho kis zubaa.n se aapki 'azmat
ek kaase mei.n dariya duboyaa, dubto.n ko tiraayaa
jogi jaypaal ko tumne khwajaa ! hai musalmaa.n banaaya
KHuda ki shaan ho, nabi ki jaan ho
zamaana jaanta hai aapki rif'at
'ataa-e-mustafa, mere khwaaja piya
hasan husain se hai aapko nisbat
nabi ki aal ho, 'ali ke laal ho
bayaa.n ho kis zubaa.n se aapki 'azmat
hasan husain se hai aapko nisbat
nabi ki aal ho, 'ali ke laal ho
bayaa.n ho kis zubaa.n se aapki 'azmat
aapko apna sardaar maana, hind ke auliyaa ne
mere saabir ne, waaris piyaa ne, aur ahmad raza ne
tumhi hindul wali, na tumsa hai koi
lab-e-sarkar par hai aapki mid.hat
'ataa-e-mustafa, mere khwaaja piya
hasan husain se hai aapko nisbat
nabi ki aal ho, 'ali ke laal ho
bayaa.n ho kis zubaa.n se aapki 'azmat
hasan husain se hai aapko nisbat
nabi ki aal ho, 'ali ke laal ho
bayaa.n ho kis zubaa.n se aapki 'azmat
tumne taalim tauheed ki di, shirk se hai bachaaya
but-parasti mei.n jo mubtalaa the, unko kalmaa padhaaya
sadaa islaam ki aye Aaseem ! gunj uthi
hui kaafoor kufr-o-shirk ki bid'aat
'ataa-e-mustafa, mere khwaaja piya
hasan husain se hai aapko nisbat
nabi ki aal ho, 'ali ke laal ho
bayaa.n ho kis zubaa.n se aapki 'azmat
hasan husain se hai aapko nisbat
nabi ki aal ho, 'ali ke laal ho
bayaa.n ho kis zubaa.n se aapki 'azmat
चिरागे चिश्त शहे औलिया गरीब नवाज़
मेरे हुज़ूर मेरे पेशवा गरीब नवाज़
तेरी शान ख्वाजा-इ-ख्वाजगां
तू बड़ा गरीब नवाज़ है
तू मुइने उम्मते मुस्तफा
तू सबूते रहमते मुस्तफा
तू अता-इ-मीरे हिजाज़ है
तू बड़ा गरीब नवाज़ है
हमें तूने अपना बना लिया
हमें दो जहाँ से बचा लिया
तुजे ग़मज़दों का ख़याल है
तू बड़ा गरीब नवाज़ है
न गिने गए वो शुमार से
जो पले हैं तेरे दयार से
तेरा दस्ते जूद दराज़ है
तू बड़ा गरीब नवाज़ है
अता-ए-मुस्तफा मेरे ख्वाजा पिया
हसन हुसैन से है आपको निस्बत
नबी की आल हो अली के लाल हो
बयान हो किस ज़बान से आपकी अज़मत
मुस्तफा ने तुम्हे हिन्द भेजा तुम मुरादे नबी हो
हिन्द जिस से मुनव्वर हुआ है आप वो रौशनी हो
रिज़ा-इ-मुस्तफा हबीबे किब्रिया
ज़मीन क्या है फलक पर आपकी शोहरत
अता-ए-मुस्तफा मेरे ख्वाजा पिया
हसन हुसैन से है आपको निस्बत
नबी की आल हो अली के लाल हो
बयान हो किस ज़बान से आपकी अज़मत
एक मुद्दत से है दिल में अरमान में भी अजमेर जाऊं
थाम कर तुमरे रोज़े की जाली हाल दिल का सुनाऊँ
दिले बेताब की सदा सुन लो सखी
दिखा दीजिये मुझे वो हसीं तुर्बत
अता-ए-मुस्तफा मेरे ख्वाजा पिया
हसन हुसैन से है आपको निस्बत
नबी की आल हो अली के लाल हो
बयान हो किस ज़बान से आपकी अज़मत
एक कासे में दरिया डुबोया डूबतों को तिराया
जोगी जयपाल की तुमने ख्वाजा है मुसलमान बनाया
खुदा की शान हो नबी की जान हो
ज़माना जनता है आपकी रिफ़अत
अता-ए-मुस्तफा मेरे ख्वाजा पिया
हसन हुसैन से है आपको निस्बत
नबी की आल हो अली के लाल हो
बयान हो किस ज़बान से आपकी अज़मत
आपको अपना सरदार माना हिन्द के औलिया ने
मेरे साबिर ने वारिस पिया ने और अहमद रज़ा ने
तुम्ही हिन्दुल वली न तुमसा है कोई
लबे सरकार पर है आपकी मिदहत
अता-ए-मुस्तफा मेरे ख्वाजा पिया
हसन हुसैन से है आपको निस्बत
नबी की आल हो अली के लाल हो
बयान हो किस ज़बान से आपकी अज़मत
तुमने तालीम तौहीद की दी शिर्क से है बचाया
बूत परस्ती में जो मुब्तला थे उनको कलमा पढ़ाया
सदा इस्लाम की अये आसिम गूंज उठी
हुई काफूर कुफ्रो शिर्क की बिदअत
अता-ए-मुस्तफा मेरे ख्वाजा पिया
हसन हुसैन से है आपको निस्बत
नबी की आल हो अली के लाल हो
बयान हो किस ज़बान से आपकी अज़मत
मेरे हुज़ूर मेरे पेशवा गरीब नवाज़
तेरी शान ख्वाजा-इ-ख्वाजगां
तू बड़ा गरीब नवाज़ है
तू मुइने उम्मते मुस्तफा
तू सबूते रहमते मुस्तफा
तू अता-इ-मीरे हिजाज़ है
तू बड़ा गरीब नवाज़ है
हमें तूने अपना बना लिया
हमें दो जहाँ से बचा लिया
तुजे ग़मज़दों का ख़याल है
तू बड़ा गरीब नवाज़ है
न गिने गए वो शुमार से
जो पले हैं तेरे दयार से
तेरा दस्ते जूद दराज़ है
तू बड़ा गरीब नवाज़ है
अता-ए-मुस्तफा मेरे ख्वाजा पिया
हसन हुसैन से है आपको निस्बत
नबी की आल हो अली के लाल हो
बयान हो किस ज़बान से आपकी अज़मत
मुस्तफा ने तुम्हे हिन्द भेजा तुम मुरादे नबी हो
हिन्द जिस से मुनव्वर हुआ है आप वो रौशनी हो
रिज़ा-इ-मुस्तफा हबीबे किब्रिया
ज़मीन क्या है फलक पर आपकी शोहरत
अता-ए-मुस्तफा मेरे ख्वाजा पिया
हसन हुसैन से है आपको निस्बत
नबी की आल हो अली के लाल हो
बयान हो किस ज़बान से आपकी अज़मत
एक मुद्दत से है दिल में अरमान में भी अजमेर जाऊं
थाम कर तुमरे रोज़े की जाली हाल दिल का सुनाऊँ
दिले बेताब की सदा सुन लो सखी
दिखा दीजिये मुझे वो हसीं तुर्बत
अता-ए-मुस्तफा मेरे ख्वाजा पिया
हसन हुसैन से है आपको निस्बत
नबी की आल हो अली के लाल हो
बयान हो किस ज़बान से आपकी अज़मत
एक कासे में दरिया डुबोया डूबतों को तिराया
जोगी जयपाल की तुमने ख्वाजा है मुसलमान बनाया
खुदा की शान हो नबी की जान हो
ज़माना जनता है आपकी रिफ़अत
अता-ए-मुस्तफा मेरे ख्वाजा पिया
हसन हुसैन से है आपको निस्बत
नबी की आल हो अली के लाल हो
बयान हो किस ज़बान से आपकी अज़मत
आपको अपना सरदार माना हिन्द के औलिया ने
मेरे साबिर ने वारिस पिया ने और अहमद रज़ा ने
तुम्ही हिन्दुल वली न तुमसा है कोई
लबे सरकार पर है आपकी मिदहत
अता-ए-मुस्तफा मेरे ख्वाजा पिया
हसन हुसैन से है आपको निस्बत
नबी की आल हो अली के लाल हो
बयान हो किस ज़बान से आपकी अज़मत
तुमने तालीम तौहीद की दी शिर्क से है बचाया
बूत परस्ती में जो मुब्तला थे उनको कलमा पढ़ाया
सदा इस्लाम की अये आसिम गूंज उठी
हुई काफूर कुफ्रो शिर्क की बिदअत
अता-ए-मुस्तफा मेरे ख्वाजा पिया
हसन हुसैन से है आपको निस्बत
नबी की आल हो अली के लाल हो
बयान हो किस ज़बान से आपकी अज़मत