jashn-e-'eid-e-baarahwi.n mana
aa gae huzoor aa gae
goonj uThi sada-e-marhaba
aa gae huzoor aa gae
'arsh-o-farsh ki thi guftugu
mai.n ba.Da hu.n ya ba.Da hai tu
farsh bola ab hu.n mai.n ba.Da
aa gae huzoor aa gae
jashn-e-'eid-e-baarahwi.n mana
aa gae huzoor aa gae
goonj uThi sada-e-marhaba
aa gae huzoor aa gae
bakri boli ham bhi sher hai.n
yaa'ni aaj se diler hai.n
daur-e-qatl-o-KHoon lad gaya
aa gae huzoor aa gae
jashn-e-'eid-e-baarahwi.n mana
aa gae huzoor aa gae
goonj uThi sada-e-marhaba
aa gae huzoor aa gae
maari jaa chuki ho, beTiyo !
ab waqaar-o-faKHr se jiyo
kaT chuka hai panja-e-jafaa
aa gae huzoor aa gae
jashn-e-'eid-e-baarahwi.n mana
aa gae huzoor aa gae
goonj uThi sada-e-marhaba
aa gae huzoor aa gae
thartharaane, kaanpne laga
cheeKH uThe pujaari, kya huaa?
but ye kahte sajde me.n gira
aa gae huzoor aa gae
jashn-e-'eid-e-baarahwi.n mana
aa gae huzoor aa gae
goonj uThi sada-e-marhaba
aa gae huzoor aa gae
Poet:
Habibullah Faizi
Naat-Khwaan:
Habibullah Faizi
Qari Riyazuddin Ashrafi
जश्न-ए-'ईद-ए-बारहवीं मना
आ गए हुज़ूर आ गए
गूँज उठी सदा-ए-मरहबा
आ गए हुज़ूर आ गए
'अर्श-ओ-फ़र्श की थी गुफ़्तुगू
मैं बड़ा हूँ या बड़ा है तू
फ़र्श बोला अब हूँ मैं बड़ा
आ गए हुज़ूर आ गए
जश्न-ए-'ईद-ए-बारहवीं मना
आ गए हुज़ूर आ गए
गूँज उठी सदा-ए-मरहबा
आ गए हुज़ूर आ गए
बकरी बोली हम भी शेर हैं
या'नी आज से दिलेर हैं
दौर-ए-क़त्ल-ओ-ख़ून लद गया
आ गए हुज़ूर आ गए
जश्न-ए-'ईद-ए-बारहवीं मना
आ गए हुज़ूर आ गए
गूँज उठी सदा-ए-मरहबा
आ गए हुज़ूर आ गए
मारी जा चुकी हो, बेटियो !
अब वक़ार-ओ-फ़ख़्र से जियो
कट चुका है पंजा-ए-जफ़ा
आ गए हुज़ूर आ गए
जश्न-ए-'ईद-ए-बारहवीं मना
आ गए हुज़ूर आ गए
गूँज उठी सदा-ए-मरहबा
आ गए हुज़ूर आ गए
थरथराने, काँपने लगा
चीख़ उठे पुजारी, क्या हुआ ?
बुत ये कहते सज्दे में गिरा
आ गए हुज़ूर आ गए
जश्न-ए-'ईद-ए-बारहवीं मना
आ गए हुज़ूर आ गए
गूँज उठी सदा-ए-मरहबा
आ गए हुज़ूर आ गए
शायर:
हबीबुल्लाह फ़ैज़ी
ना'त-ख़्वाँ:
हबीबुल्लाह फ़ैज़ी
क़ारी रियाज़ुद्दीन अशरफ़ी