#1. हजरत अबू बकर (रज़िअल्लाहु अन्हु)
hazrat abu bakar
हजरत अबू बकर इब्न उस्मान (रज़िअल्लाहु अन्हु) मुसलमानों के पहले खलीफा थे। वे पाक पैगंबर मुहम्मद (सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम) के करीबी साथी और ससुर थे।
हजरत अबू बकर ((रज़िअल्लाहु अन्हु) एक धनी व्यापारी थे। इस्लाम क़ुबूल करने के बाद, उन्होंने मुसलमानों के फायदे के लिए अपनी पूरी दौलत को लगा दिया।
हजरत अबू बकर (रज़िअल्लाहु अन्हु) रसूलुल्लाह (सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम) के साथ मक्का से मदीना चले गए।
हजरत अबू बकर (रज़िअल्लाहु अन्हु) हमेशा पाक पैगंबर (सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम) के साथ खड़े रहे।
हजरत अबू बकर (रज़िअल्लाहु अन्हु) ने मुसलमानों के लिए बदर की लड़ाई और उहुद की लड़ाई जैसी महत्वपूर्ण लड़ाई लड़ी।
हज़रत अबू बकर 27 महीने के लिए ही मुसलमानों के पहले खलीफा के रूप में काम करते हैं।
हजरत अबू बकर (र0अ0) की मृत्यु लम्बे समय तक बुखार रहने बजह से हुई।
उन्होंने हजरत अली (रज़ि. अन्हु) को अपने आखिरी दिनों में पैगाम भेजा कि हजरत अली (रज़ि. अन्हु) उन्हें ग़ुसल देंगे।
हज़रत अबू बकर सिद्दीक (रज़ि.) की मृत्यु पर हज़रत अली (रज़ि. अन्हु) ने उन्हें ग़ुस्ल दिया।
हजरत उमर फारूक (रज़ि. अन्हु) ने उनके जनाजे की नमाज अदा की, और उन्हें हजरत मुहम्मद (सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम) की कब्र के पास दफनाया गया।
#2. हजरत उमर फारूक (रज़िअल्लाहु अन्हु)
hazrat umar farooq
अंग्रेजी कलैण्डर के हिसाब से हजरत अबू बकर (रज़ि. अन्हु) की बफात 23 अगस्त को हुई थी।
मुसलमानों ने उसी दिन हजरत उमर फारूक (रज़ि. अन्हु) को अपना दूसरा खलीफा चुना।
हज़रत उमर इब्न खत्ताब (रज़ि. अन्हु) को मुस्लिम इतिहास का सबसे शक्तिशाली और सफल खलीफा माना जाता है।
हज़रत उमर फारूक (रज़ि. अन्हु) बहुत बहादुर थे। उनकी बहादुरी की चर्चा पूरे मुल्के अरब में थी।
हज़रत उमर फारूक (रज़ि. अन्हु) से पहले मुसलमान गैर मुस्लिमों से छुपकर नमाज़ पढ़ते थे, लेकिन जब हज़रत उमर (रज़ि. अन्हु) ने इस्लाम कबूल किया, तो मुसलमानों ने काबा में खुलेआम नमाज अदा की।
हज़रत मुहम्मद (सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम) ने मुसलमानों को मदीना की तरफ हिजरत करने का हुक्म दिया।
मुसलमान रात के अँधेरे में हिजरत करते हैं। हज़रत उमर फारूक (रज़ि. अन्हु) ने एलान किया कि जो अपनी औरतों को बेवह और बच्चों को यतीम करना चाहता है वो मेरी पैरवी कर सकता है।
ऐसा हज़रत उमर फारूक (रज़ि. अन्हु) इसलिए कहा था क्यूंकि आप हज़रत उमर फारूक (रज़ि. अन्हु) ने दिन की रोशनी में मक्का से मदीना के लिए हिजरत की थी।
आप (रज़ि. अन्हु) ने ख़लीफ़ा के रूप में एक सफल दौर गुज़ारा था। उन्होंने (रज़ि. अन्हु) मुस्लिम समुदाय में कई नए विभागों और सुधारों की शुरुआत की।
हजरत उमर फारूक (रज़ि. अन्हु) मृत्यु के बाद, उन्हें पवित्र पैगंबर (सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम) की कब्र के पास दफनाया गया था।
#3. हज़रत उस्मान (रज़िअल्लाहु अन्हु)
hazrat usman
हज़रत उस्मान इब्न अफ्फान (रज़ि. अन्हु) मुसलमानों के तीसरे खलीफा थे। इनका जन्म मक्का में हुआ था।
हज़रत उस्मान (रज़ि. अन्हु) की शादी पवित्र पैगंबर (सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम) की दो बेटियों, हज़रत रुकय्याह (रज़ि. अन्हा) और हज़रत उम्मे कुलसूम (रज़ि. अन्हा) से हुई थी।
हज़रत अबू बकर (रज़ि. अन्हु) ने हज़रत उस्मान (रज़ि. अन्हु) को इस्लाम कबूल करने के लिए मना लिया।
हज़रत उस्मान (रज़ि. अन्हु) ने इस्लाम को गले लगा लिया और इस्लाम के शुरुआती अनुयायियों में से एक बन गए।
हज़रत अली (रज़ि. अन्हु) ने शादी के खर्च को पूरा करने के लिए हज़रत उस्मान (रज़ि. अन्हु) को 500 दिरहम में अपनी ढाल बेच दी।
उन 500 दिरहम में से, हज़रत अली (रज़ि. अन्हु) ने मेहर के रूप में हज़रत फ़ातिमा (रज़ि. अन्हु) को 400 दिरहम का भुगतान किया।
बाद में, हज़रत उस्मान (रज़ि. अन्हु) ने हज़रत अली (रज़ि. अन्हु) को उनकी शादी के तोहफे के रूप में शील्ड लौटा दी।
हज़रत उस्मान (रज़ि. अन्हु) का सम्मान है कि उन्होंने (रज़ि. अन्हु) पवित्र कुरान का एक मानक संस्करण तैयार किया।
उन्होंने (रज़ि. अन्हु) मुसलमानों को उस कुरान का पालन करने का आदेश दिया।
#4. हज़रत अली इब्न अबी तालिब (रज़िअल्लाहु अन्हु)
hazrat ali 10 jannati sahaba ke names
हज़रत अली (रज़ि. अन्हु) हज़रत मुहम्मद (सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम) के चचाजाद भाई थे।
हज़रत अली (रज़ि. अन्हु) का जन्म काबा में हुआ था।
काबा मुसलमानों के लिए सबसे पाक स्थान है। हज़रत अली (रज़ि. अन्हु) ने 10 साल की उम्र में इस्लाम कबूल कर लिया।
हज़रत अली (रज़ि. अन्हु) की शादी हज़रत मुहम्मद (सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम) की सबसे छोटी बेटी हज़रत फातिमा (रज़ि. अन्हु) से हुई थी।
हज़रत अली (रज़ि. अन्हु) ने रसूलुल्लाह (सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम) के कयाम की रात को अपने जीवन को खतरे में डाल दिया।
हज़रत अली (रज़ि. अन्हु), सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम के कयाम को सफल बनाने के लिए पवित्र पैगंबर (सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम) के बिस्तर पर सो गए।
सुबह-सुबह, वे (रज़ि. अन्हु) कुरेश ए मक्का से अपनी जान बचाने में सफल रहे।
हज़रत अली (रज़ि. अन्हु) सुन्नी मुसलमानों के चौथे ख़लीफ़ा और शिया मुसलमानों के पहले ख़लीफ़ा थे।
उन्होंने (रज़ि. अन्हु) मुसलमानों के लिए बहादुरी के साथ कई लड़ाइयाँ लड़ीं।
हज़रत अली (रज़ि. अन्हु) ने इस्लाम की सरबुलंदी के लिए खैबर का किला फतह किया।
19वें रमज़ान के दिन हज़रत अली (रज़ि.) कूफा मस्जिद में फजर की नमाज अदा कर रहे थे।
एक व्यक्ति ने उन पर जहरीली तलवार से हमला किया।
वे (रज़ि. अन्हु) दो दिन बीमार रहे और फिर 21 रमजान को उनकी बफात हो गई। हज़रत अली (रज़ि. अन्हु) की मजार इराक के नजफ शहर में है।
#5. हज़रत ज़ुबैर इब्न अल अवाम (रज़िअल्लाहु अन्हु)
hazrat jubair
हज़रत जुबैर इब्न अल अवाम (रज़ि. अन्हु) पवित्र पैगंबर मुहम्मद (सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम) के चचेरे भाई और करीबी साथी थे।
वे (रज़ि. अन्हु) उन पांच व्यक्तियों में से एक थे जिन्होंने इस्लाम कुबूल किया और पवित्र पैगंबर (सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम) के साथ खड़े हुए।
हज़रत ज़ुबैर (रज़ि. अन्हु) ने मुसलमानों के लिए कई लड़ाइयां लड़ीं, जिनमें बद्र की लड़ाई, उहुद की लड़ाई, खाई की लड़ाई और खैबर की लड़ाई शामिल है।
हज़रत ज़ुबैर (रज़ि. अन्हु) ऊँटों की लड़ाई में मारे गए।
हज़रत ज़ुबैर (रज़ि. अन्हु) (रज़ि. अन्हु) नमाज़ पढ़ रहे थे कि आमिर बिन झुर्मुज ने उन पर हमला कर दिया, और हज़रत ज़ुबैर (रज़ि. अन्हु) उस हमले से बच नहीं सके।
#6. हज़रत तलहा (रज़िअल्लाहु अन्हु)
hazrat talha 10 jannati sahaba ke names
हज़रत तल्हा (रज़ि. अन्हु) हज़रत मुहम्मद (सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम) के साथियों में से एक थे।
हज़रत अबू बकर (रज़ि. अन्हु) ने उन्हें इस्लाम क़ुबूल करने पर आमदाह किया। आप (रज़ि. अन्हु) आठ शुरुआती मुसलमानों में से एक थे।
आपने (रज़ि. अन्हु) मशहूर जंगे लड़ी: – जंगे उहद और जंगे ऊंट।
ऊँट की लड़ाई में हज़रत तलहा इब्न उबैदुल्लाह (रज़ि. अन्हु) को तीर से चोट लगी।
आपका (रज़ि. अन्हु) खून बंद नहीं हुआ और हज़रत तलहा (रज़ि. अन्हु) उस चोट के कारण इस दुनिया से रुखसत हो गए।
आपका (रज़ि. अन्हु) मकबरा बसरा, इराक में है।
#7. हजरत अब्दुल रहमान बिन औफ (रज़िअल्लाहु अन्हु)
hazrat abdul rahman
हज़रत अब्दुल रहमान (रज़ि. अन्हु) ने हज़रत अबू बकर (रज़ि. अन्हु) से चर्चा के बाद इस्लाम कबूल कर लिया।
आप (रज़ि. अन्हु) ने बद्र की लड़ाई और उहद की लड़ाई लड़ी।
पहले दो ख़लीफ़ाओं के दौर में हज़रत हजरत अब्दुल रहमान (रज़ि. अन्हु) का बहुत अहमियत हासिल थी।
आप (रज़ि. अन्हु) ने अपनी हुकूमत में हजरत अबू बकर (रज़ि. अन्हु) की मदद की।
आप (रज़ि. अन्हु) हजरत उमर फारूक (रज़ि. अन्हु) के जमाने में शूरा के सदस्य थे।
मदीना में हजरत अब्दुल रहमान बिन औफ (रज़ि. अन्हु) की मृत्यु हो गई। उनकी (रज़ि. अन्हु) कब्र जन्नतुल बकी में है।
#8. हज़रत अबू उबैदाह इब्न अल जराह (रज़िअल्लाहु अन्हु)
hazrat ubaidah 10 jannati sahaba ke names
हज़रत अबू उबैदा (रज़ि. अन्हु) ने हज़रत अबू बकर (रज़ि. अन्हु) के एक दिन बाद इस्लाम कबूल कर लिया।
आपने (रज़ि. अन्हु) कई लड़ाइयां लड़ीं, बद्र की लड़ाई, उहद की लड़ाई, मक्का की जीत, हुनैन की लड़ाई और तबुक की लड़ाई।
हजरत अबू उबैदाह (रज़ि. अन्हु) अपने दौरे खिलाफत में हजरत अबू बकर (रज़ि. अन्हु) के साथ रहे।
हज़रत उमर (रज़ि. अन्हु) ने आपको (रज़ि. अन्हु) अपने युग में सेना के सर्वोच्च नेता के रूप में नियुक्त किया।
हज़रत अबू उबैदाह (रज़ि. अन्हु) ने खलीफा हज़रत उमर फारूक (रज़ि. अन्हु) के तहत एमेसा की लड़ाई, यर्मुक की लड़ाई और सीरिया की लड़ाई लड़ी।
हजरत अबू उबैदाह अल जराह (रज़ि. अन्हु) की बफात 639 ईसवी में हुई थी।
आपकी (रज़ि. अन्हु) कब्र जबिया में है।
#9. हजरत साद इब्न अबी वकास (रज़िअल्लाहु अन्हु)
hazrat saad
आपने (रज़ि. अन्हु) 17 साल की उम्र में इस्लाम कबूल कर लिया। आप (रज़ि. अन्हु) सातवें व्यक्ति थे जिन्होंने इस्लाम को अपनाया।
हज़रत साद (रज़ि. अन्हु) ने बद्र की लड़ाई और उहद की लड़ाई लड़ी।
आप (रज़ि. अन्हु) वो सदस्य थे जिसने कुफा शहर का निर्माण किया था।
हज़रत उमर फ़ारूक़ (रज़ि. अन्हु) ने आपको (रज़ि. अन्हु) कुफ़ा और नजफ़ का गवर्नर नियुक्त किया।
हजरत उमर फारूक (रज़ि. अन्हु) ने तीसरे खलीफा पद के लिए छह व्यक्तियों को नामांकित किया, उन छह व्यक्तियों में हजरत साद (रज़ि. अन्हु) भी थे।
हजरत उस्मान (रज़ि. अन्हु) ने हजरत साद (रज़ि. अन्हु) को दूसरी मर्तबा कुफा का गवर्नर नियुक्त किया।
हज़रत साद (रज़ि. अन्हु) को यह श्रेय है कि उन्होंने (रज़ि. अन्हु) चीन में इस्लाम की तबलीग की।
आपने (रज़ि. अन्हु) बांग्लादेश शहर में अबू अक्कास मस्जिद के नाम से एक मस्जिद भी बनवाई।
हजरत साद (रज़ि. अन्हु) ने अस्सी साल की उम्र में बफात पायी।
#10. हजरत सईद बिन जैद (रज़िअल्लाहु अन्हु)
hazrat jaid 10 jannati sahaba ke names
हज़रत सईद बिन ज़ैद (रज़ि. अन्हु) का सुमार इस्लाम के शुरुआती इस्लाम क़ुबूल करने वालों में होता है और इनका नाम 10 Jannati Sahaba Ke Names में आता है।
हजरत अबू मुआविया (रज़ि. अन्हु) के खलीफा के दौरान, हजरत सईद बिन जैद (रज़ि. अन्हु) को कुफा के खलीफा के रूप में नियुक्त किया गया था।
हज़रत सईद बिन ज़ैद (रज़ि.) का कूफ़ा में इन्तेकाल हो गया। आपका (रज़ि. अन्हु) पार्थिव शरीर वापस मदीना लाया गया।
10 सहाबा ही क्यों?
जैसा कि हमने ऊपर 10 Jannati Sahaba Ke Names हिंदी में पढ़ ही लिये।
आईये यहाँ जानते हैं कि आखिर ये 10 सहाबा ही जन्नत में सबसे पहले क्यूँ जायेंगे।
बेशक, पैगंबर मुहम्मद ﷺ के सभी साथियों ने इस्लाम की खातिर सराहनीय कुर्बानियाँ दी हैं।
फिर भी ये 10 सहाबा शुरुआत से ही पैगंबर मुहम्मद ﷺ के साथ थे;
इब्तदाई सालों में इस्लाम क़ुबूल करना।
इस्लाम के खातिर हिजरत की।
गज़्वह बदर में हिस्सा लिया।
हुदैबिया के मुआहदे के लिए इन्होने रसूलुल्लाह सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम की कसम खाई।
कुरान मजीद में अल्लाह ﷻ फरमाता है: – “तुममें से जिन लोगों ने मक्का पर जीत हासिल करने के लिए सदका दिया और जिहाद किया, वे बेमिसाल हैं।
इनका दर्जा उन लोगों से बहुत बुलंद है, जो सदका देते हैं और बाद में लड़ते हैं।” अल-हदीद 57-10
10 जन्नती सहाबा होने की हदीस | 10 Jannati Sahaba Names
अबू बकर
पैगंबर मुहम्मद ﷺ ने अबू बक्र से फ़रमाया: –
“आप हौज़-ए-कौसर में मेरे साथी हैं और गारे हिरा में मेरे साथी हैं।” – जामी’अत-तिर्मिज़ी 3670
🟢 उमर फारूक
पैगंबर मुहम्मद ﷺ ने फ़रमाया: –
“अगर मेरे बाद कोई नबी होता तो वो उमर बिन अल-खत्ताब होते।”- जामी’अत-तिर्मिज़ी 3686
🟢 उस्मान बिन अफ्फान
अबू बक्र رَضِيَ ٱللَّٰهُ عَنْهُ, उमर رَضِيَ ٱللَّٰهُ عَنْهُ, और ‘उथमान رَضِيَ ٱللَّٰهُ عَن ْهُ उहुद (पहाड़) पर चढ़ गए और उहुद की लड़ाई के दौरान यह हिलने लगा।
पैगंबर मुहम्मद ﷺ ने फरमाया: –
“ए उहुद मजबूत रहो! क्योंकि तुम पर एक नबी, एक सिद्दीक और दो शहीदों के सिवा कोई नहीं है।” – जामी’अत-तिर्मिज़ी 3697
🟢 अली बिन अबि तालिब
पैगंबर मुहम्मद ﷺ ने फरमाया: –
“बेशक अल्लाह ने मुझे चार से मोहब्बत करने का हुक्म दिया है और मुझे बताया है कि वह उनसे मोहब्बत करता है। अली उनमें से हैं।” – जामी’अत-तिर्मिज़ी 3718
🟢 तल्हा बिन उबैदुल्लाह
पैगंबर मुहम्मद ﷺ ने फरमाया: –
“जो कोई शख्स किसी शहीद को रूए ज़मीन पर चलते हुए देखना पसंद करता है तो वो तल्हा बिन उबैदुल्लाह को देख ले। – जामी’अत-तिर्मिज़ी 3739
🟢 ज़ुबैर इब्ने-अव्वाम
पैगंबर मुहम्मद ﷺ ने फरमाया: –
“बेशक हर नबी का एक हवारी होता है और मेरा हवारी अज़-ज़ुबैर बिन अल-अव्वाल है।” – जामी’अत-तिर्मिज़ी 3745