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10 Jannti Ashra Mubashra Sahaba / जिनको दुनिया में जन्नत की खुशखबरी मिली

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10 Jannti Ashra Mubashra Sahaba / जिनको दुनिया में जन्नत की खुशखबरी मिली

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10 Ashra Mubashra Sahaba Hindi |

जिनको दुनिया में ही जन्नत की खुशखबरी मिली

 

अशरा मुबश्शरा , पैगंबर हजरत मुहम्मद (P.B.U.H) के 10 साथी हैं, जिन्हें उनकी ज़िन्दगी में ही जन्नत की खुशखबरी दी गई थी |

 

कुछ चीजें जो इन सहाबा में कामन थीं :

  1. इस्लाम के शुरुआती दिनों में सभी मुस्लिम हो गए।
  2. उन्होंने पैगंबर और इस्लाम की लिए बड़ी बड़ी खिदमत अंजाम दी ।
  3. उन्होंने हिजरत की ।
  4. उन्होंने बद्र की लड़ाई में हिस्सा लिया
  5. हुदय्बिया की बयअत में जो नबी स.अ. ने ली थी सब शामिल थे ।
  6. उनके खूबियां हदीस में भी ज़िक्र है  हैं।

 

1. हज़रत अबू बकर (R.A)

इस्लाम में दाखिला

हज़रत अबू बकर हज़रत खदीजा के बाद इस्लाम कुबूल करने वाले पहले मुस्लिम थे । और वो बड़े बड़े क़बीलों के इस्लाम में दाखिल करने की वजह बने | दूसरी ओर, वो गुलाम जिनको मक्का के मुशरिक सताते थे उनको खरीद कर आज़ाद कर दिया था ।

हिजरत 

हज़रत अबू बक्र, जो कि मक्का में तेरह साल तक पैगंबर की हिमायत करते रहे थे, जब उन्हें पता चला कि अल्लाह ने अपने पैगम्बर मुहम्मद स.अ. को हुक्म दिया है कि मदीने की तरफ हिजरत अबू बक्र के साथ करें तो मारे ख़ुशी के उनको रोना आ गया

इस्लाम की खिदमत 

वह बद्र, उहुद और खंदक के अलावा दूसरी कई लड़ियों में मौजूद थे । पैगम्बर मुहम्मद स.अ. की वफात के बाद तमाम सहाबा के मशवरे से उन को खलीफा चुना गया |

 

2. हज़रत उमर फारूक (R.A)

 

पैगंबर स.अ. के दूसरे खलीफा, जो नबी स.अ. के सबसे करीबी साथियों में से एक थे । उन्होंने इस्लाम को फैलाने और इस दुनिया में अमन को आम करने की कोशिश में अपने आप को निछावर कर दिया । उमर का लक़ब “फारुक” था, जिसका मतलब है जो सही और गलत के बीच फर्क करता है।

इस्लाम में दाखिला

पैगंबर मुहम्मद (pbuh) को मारने का फैसला करते हुए, उमर ने अपनी तलवार लेकर नबी स.अ. को मारने के लिए निकल पड़े । लेकिन , जब उन्हें पता चला कि उनकी बहन और उसके शौहर ने इस्लाम कुबूल कर लिया है, तो वो सबसे पहले उनके पास उनकी खबर लेने गए गए लेकिन जब उनकी बहन ने कुरान की कुछ आयतें पढ़ीं, तो कुरान मुतास्सिर होकर उन्होंने इस्लाम कुबूल कर लिया।

हिजरत

जब मुसलमानों को मदीना हिजरत करने का हुक्म मिला , तो उन्होंने चुपके से मक्का से मदीना हिजरत करना शुरू कर दिया। उमर को गुप्त रहने की कोई जरूरत नहीं पड़ी और वो बीस साथियों के साथ मदीना के लिए रवाना हुए ।

इस्लाम की खिदमत 

हज़रत उमर ने बद्र, उहुद, खंदक और खैबर और कई अलग अलग मुहिमों में हिस्सा लिया। उन्होंने इनमें से कुछ में कमांडर के रूप में काम किया। और फिर हज़रत अबू बक्र की वफात के बाद खलीफा बनाये गए |

 

3. हज़रत उस्मान (R.A)

 

वो हया के पयकर और तीसरे खलीफा है। उनका पूरा नाम उस्मान बिन अफ्फान है | मुस्लिम बनने के बाद उनकी शादी पैगंबर स.अ. की बेटी रूकय्या से हुई , और उनका लक़ब “ज़िन्नूरैन” है।

इस्लाम में दाखिला

हज़रत अबू बक्र के इस्लाम की दावत पर हज़रत उस्मान इब्न अफान इस्लाम ले आए ।

हिजरत

जब मदीना हिजरत के लिए हुक्म दिया गया था, हज़रत उस्मान ने दुसरे मुसलमानों के साथ हिजरत की ।

इस्लाम की खिदमत 

उन्होंने रूमा कुवें को एक यहूदी से बीस हजार दिरहम में खरीदा था, और मुसलमानों को फ्री में इसके इस्तेमाल की इजाज़त दे दी थी।

अपनी बीवी रूकय्या की गंभीर बीमारी की वजह से ,हज़रत उस्मान पैगंबर की इजाज़त के साथ बद्र लड़ाई में शामिल नहीं हो पाए थे । बद्र को छोड़कर, वह इस्लाम के दुश्मनों के साथ लड़ी गयी सभी जंगों में लड़े। और फिर हज़रात उमर के बाद तीसरे खलीफा के तौर पर उनका चुनाव हुआ |

 

4. हज़रत अली (R.A)

 

हज़रत अली पैगंबर स.अ. के दामाद, चाचा के बेटे और चौथे खलीफा थे। उनके पिता अबू तालिब थे, उनकी माँ फातिमा | उनके लक़ब “अबुल हसन” और “अबू तुराब” थे | और उनका उपनाम हैदर था। उन्हें ” शेरे खुदा ” भी कहा जाता है।

इस्लाम में दाखिला

पैगंबर मुहम्मद (pbuh) ने बनू हाशिम के सदस्यों को इस्लाम की दावत देने के लिए अपने घर में बुलाया। रात के खाने के बाद उन्होंने जब सब के सामने इस्लाम पेश किया तो सिर्फ अली ने खड़े होकर इस्लाम कुबूल किया ।

हिजरत

नबी स.अ. के पास कुछ चीज़ें अमानत के तौर पर रखी हुईं थीं और उन चीज़ों को उन के मालिकों के पास लौटाना था इसलिए नबी स.अ.ने अपनी हिजरत के वक़्त उनको मक्का में रुकने को कहा और मालिकों तक उनकी चीज़ें वापस करने के बाद मदीने की तरफ हिजरत की इजाज़त दी ।

इस्लाम की खिदमत

हिजरत के बाद उन्होंने सभी लड़ाइयों में हिस्सा लिया । हज़रत उमर की खिलाफत के दौरान, हज़रात अली ने चीफ़ जस्टिस के तौर पर सभी कानूनी मामलों को संभाला | फिर हज़रत उस्मान की वफात के बाद वो खलीफा बने |

 

5. हज़रत तल्हा (R.A)

 

तल्हा इब्न उबैदुल्लाह इस्लाम कुबूल करने वाले पहले आठ लोगों में से एक थे ।

हालाँकि वह बद्र में नहीं लड़े, लेकिन वे कई अन्य लड़ाइयों में शामिल हुए। उन्होंने उहुद की जंग में पैगंबर स.अ. की बड़ी बहादुरी के साथ हिफाज़त की।

वह जमल की लड़ाई में शहीद हुए ।

 

6. हज़रत जुबैर इब्ने-अव्वाम (R.A)

 

जुबैर इब्ने अव्वाम वह पैगंबर के दोस्त और शिष्य थे और आपकी चची सफ़ियाह बिन्त अब्दुलमुत्तलिब के बेटे थे। वह या तो चौथे या पांचवें मुस्लिम थे।

जिस तरह उन्होंने सभी लड़ाइयों में लड़ाई लड़ी, उसी तरह उन्होंने मिस्र की को फतह करने में अहम् रोल अदा किया ।

मदीने के रास्ते में कबीला तमीम के एक शख्स ने उनको शहीद कर दिया |

 

7. हज़रत अबू उबैदा इब्ने जरराह (R.A)

 

“उम्मत के अमीन” के लक़ब से नवाज़ा गया, वह पहले मुसलमान होने वालों में से एक है

हज़रत अबू बकर के ने जब इस्लाम की दावत पेश की तो हज़रत अबू उबैदा इब्ने जर्राह अपने दोस्तों के साथ पैगंबर के पास जाकर मुसलमान बन गए । दुसरे अज़ीम साथियों की तरह, अबू उबैदा ने सभी जंगी मुहिमों में हिस्सा लिया।

हज़रत उमर के वक़्त में जिहाद की गतिविधियों के दौरान अबू उबैदाह इब्न जर्राह ने सीरिया के इलाक़े में फतह हासिल की, जो हज़रत अबू बक्र की खिलाफत के दौरान शुरू हुआ, और उन्होंने एक कमांडर के रूप में खिदमत की ।

वह सीरिया, मिस्र और इराक में प्लेग के दौरान बीमार पड़ गए , और इसी बीमारी में उन्होंने वफात पाई |

 

8. हज़रत अब्दुल रहमान इब्ने-औफ़ (R.A)

 

वो पहले मुसलमानों में से एक थे।

असहाबुल फील के वाकिये के लगभग बीस साल बाद हज़रत अब्दुर्रहमान की पैदाइश हुई ।

अब्दुर्रहमान, को पैगंबर ने यह नाम दिया था। जब नबी दारुल अरक़म में तशरीफ़ रखते थे उन दिनों ये इस्लाम में दाखिल हुए ,
वह दोनों हिजरतों ( हबश और मदीना ) में शामिल हो गए । आखिरकार, जब मुहम्मद (pbuh) ने साथियों को मदीना हिजरत करने का हुक्म दिया तो उन्होंने भी दूसरों के साथ ऐसा किया।

हज़रत अब्दुर्रहमान ने मदीना बाजार में व्यापार करना शुरू किया और अल्लाह ने उन्हें बहुत धन दौलत से नवाज़ा दिया। वो सब से ज्यादा सखी लोगों में से एक थे , अब्दुर्रहमान ने कई जंगी मुहिमों , तबूक की मुहीम अल्लाह के रस्ते में बहुत दौलत खर्च की ।

जब वह हज़रत उस्मान र.अ. के खिलाफत के दौर में बहुत बूढ़े हो गए, और आखिर में मदीना में उनकी वफात हो गई।

 

9. हज़रत साद इब्ने-अबी वक़्क़ास (R.A)

 

इस्लाम कुबूल करने वाले पहले लोगों में से एक थे। हिजरत के बाद

उन्होंने बद्र, उहुद, खंदक, हुदैबिया,फ़तहे मक्का और दूसरी सभी जंगी मुहिमों में हिस्सा लिया। उन्होंने खिलाफत के दौरान, जंगी और सियासी दोनों तरह की शानदार खिदमत की।

उनकी वफ़ात मदीना के बाहर अकीक घाटी में हुई जहाँ वे रह रहे थे।

 

10. हज़रत सईद इब्न-ए-ज़ैद (R.A)

 

उनकी शादी हज़रत उमर की बहन फातिमा से हुई थी।

बद्र के साथ, सईद इब्न जयद ने उहुद, खाई और अन्य सभी लड़ाइयों में हिस्सा लिया।

सईद ने अपने ज़िन्दगी के आखिरी दिन मदीना के बाहर अकीक घाटी में अपने खेत में बिताए और वहीँ उनकी वफात हो गयी ।

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