सूरह वाक़िया मक्की सूरह है और इस में 96 आयतें हैं |
अ ऊजु बिल्लाहि मिनश शैतानिर रजीम
बिस्मिल्ला हिर रहमानिर रहीम
1. इज़ा वक अतिल वाकिअह
उस वक़्त को याद करो जब क़यामत वाक़े हो जाएगी
2. लैसा लिवक अतिहा काज़िबह
जिस के वाक़े होने में कोई झूट नहीं
3. खाफिज़तुर राफि अह
किसी को नीचा करेगी और किसी को ऊंचा
4. इज़ा रुज्जतिल अरजु रज्जा
जब ज़मीन हिला कर रख दी जाएगी
5. व बुस्सतिल जिबालु बस्सा
और पहाड़ पीस कर रख दिए जायेंगे
6. फकानत हबा अम मुम्बस्सा
तो वो उड़ता हुआ गुबार बन जायेंगे
7. व कुन्तुम अजवाजन सलासह
और तुम तीन किस्मों में बंट जाओगे
8. फ अस्हाबुल मय्मनति मा अस्हाबुल मय्मनह
( एक ) तो दाहिनी तरफ़ वाले, क्या कहने दाहिनी तरफ़ वालों के
9. व अस्हाबुल मश अमति मा अस्हाबुल मश अमह
( दुसरे ) बायीं तरफ़ वाले, बायीं तरफ़ वाले कैसे बुरे हाल में होंगे
10. वस साबिकूनस साबिकून
( तीसरे ) आगे बढ़ जाने वाले, ( उन का क्या कहना ) वो तो आगे बढ़ जाने वाले हैं
11. उला इकल मुक़र्रबून
यही हैं जिनको अल्लाह से ख़ुसूसी नज़दीकी हासिल होगी
12. फ़ी जन्नातिन नईम
वो नेअमतों वाले बाग़ों में होंगे
13. सुल्लतुम मिनल अव्वलीन
उन का एक बड़ा गिरोह तो अगले लोगों में होगा
14. व क़लीलुम मिनल आखिरीन
और थोड़े से पिछले लोगों में होंगे
15. अला सुरुरिम मौजूनह
ऐसी मसेहरियों पर जो सोने से बुनी और जवाहरात से जड़ी होंगी
16. मुत्तकि ईना अलैहा मुतकाबिलीन
उन पर आमने सामने टेक लगाये हुए बैठे होंगे
17. यतूफु अलैहिम विल्दानुम मुखल्लदून
उन की ख़िदमत में ऐसे लड़के जो हमेशा लड़के ही रहेंगे वो उनके पास आते जाते रहेंगे
18. बिअक्वाबिव व अबारीका व कअ’सिम मिम मईन
ग्लासों और जगों में साफ़ सुथरी शराब के जाम लिए हुए
19. ला युसद्द ऊना अन्हा वला युन्ज़िफून
ऐसी शराब जिससे न उनके सर चकरायेंगे और न उनके होश उड़ेंगे
20. व फाकिहतिम मिम्मा यता खैयरून
और ऐसे मेवे लिए हुए जिनको वो खुद पसंद करेंगे
21. वलहमि तैरिम मिम्मा यश तहून
और ऐसे परिंदों का गोश्त लिए जिनकी उन्हें ख्वाहिश होगी
22. व हूरून ईन
और खूबसूरत आँखों वाली हूरें
23. कअम्सा लिल लुअ’लुइल मक्नून
जैसे छिपा छिपा कर रखे गए मोती
24. जज़ा अम बिमा कानू यअ’मलून
ये सब उनके कामों के बदले के तौर पर होगा जो वो किया करते थे
25. ला यस्मऊना फ़ीहा लग्वव वला तअसीमा
वो न उस में बेकार बातें सुनेंगे और न ही कोई गुनाह की बात
26. इल्ला कीलन सलामन सलामा
सिवाए सलामती ही सलामती की बात के
27. व अस्हाबुल यामीनि मा अस्हाबुल यमीन
और जो दायें तरफ वाले हैं, क्या खूब हैं दायें तरफ वाले
28. फ़ी सिदरिम मख्जूद
काँटों से पाक सिदरा के दरख्तों में
29. व तल्हिम मन्जूद
लदे हुए केले के पेड़ों में
30. व ज़िल्लिम मम्दूद
और फैले हुए साये में
31. वमा इम मस्कूब
और बहते हुए पानी में
32. व फाकिहतिन कसीरह
और बहुत से फलों में
33. ला मक़्तू अतिव वला ममनूअह
जो न ख़त्म होने को आयेंगे और न उन में कोई रोक टोक होगी
34. व फुरुशिम मरफूअह
और बलंद बिस्तरों में
35. इन्ना अनशअ नाहुन्ना इंशाआ
हम ने (उन के लिए) हूरें बनाई हैं
36. फज अल्नाहुन्ना अब्कारा
तो हम ने उनको कुंवारी बनाया है
37. उरुबन अतराबा
मुहब्बत भरी हमजोलियाँ
38. लि अस्हाबिल यमीन
ये है दायें तरफ वालों के लिए
39. सुल्लतुम मिनल अव्वलीन
उनकी एक बड़ी जमात अगले लोगों में है
40. वसुल्लतुम मिनल आखिरीन
उनकी एक बड़ी जमात पिछले लोगों में है
41. व अस्हाबुश शिमालि मा अस्हाबुश शिमाल
और बाएं तरफ वाले, क्या हाल होगा बाएं तरफ वालों का
42. फ़ी समूमिव व हमीम
वो होंगे झुलसा देने वाली हवा में और खौलते पानी में
43. व ज़िल्लिम मिय यहमूम
सियाह धुएं के साए में
44. ला बारिदिव वला करीम
जो न ठंडा होगा और न फायदा पहुँचाने वाला होगा
45. इन्नहुम कानू क़ब्ला ज़ालिका मुतरफीन
इस से पहले वो बड़े ऐशो इशरत में पड़े हुए थे
46. व कानू युसिर्रूना अलल हिन्सिल अज़ीम
और बड़े भारी गुनाह ( शिर्क ) पर अड़े रहते थे
47. व कानू यकूलूना अ इज़ा मितना व कुन्ना तुराबव व इज़ामन अ इन्ना लमब ऊसून
और कहा करते थे : जब हम मर जायेंगे और मिटटी हड्डी हो जायेंगे तो क्या हम फिर दोबारा जिंदा किये जायेंगे
48. अवा आबाउनल अव्वलून
और क्या हमारे पहले बाप दादा भी
49. कुल इन्नल अव्वलीना वल आखिरीन
कह दीजिये कि सब अगले और पिछले लोग
50. लमज मूऊना इला मीकाति यौमिम मालूम
एक मुक़र्ररह दिन पर ज़रूर इकठ्ठा किये जायेंगे
51. सुम्मा इन्नकुम अय्युहज़ ज़ाल्लूनल मुकज्ज़िबून
फिर ए गुमराहों और ए झुटलाने वालों ! यक़ीनन तुम
52. ल आकिलूना मिन शजरिम मिन ज़क्कूम
यक़ीनन ज़क्कूम के दरख़्त खाओगे
53. फ मालिऊना मिन्हल बुतून
और इसी से पेट भरोगे
54. फ शारिबूना अलैहि मिनल हमीम
फिर उस पर खौलता हुआ पानी पियोगे
55. फ शारिबूना शुरबल हीम
और पियोगे भी प्यासे ऊंटों की तरह
56. हाज़ा नुज़ुलुहुम यौमद दीन
क़यामत के दिन यही उन की मेहमान नवाज़ी होगी
57. नहनु खलक्नाकुम फलौला तुसद्दिकून
हम ने ही तुम को पैदा किया तो फिर तुम (दोबारा जिंदा किये जाने को) सच क्यूँ नहीं मानते हो ?
58. अफा रअय्तुम मा तुम्नून
भला देखो तो सही, जो मनी तुम (औरतों के रहम में) डालते हो
59. अ अन्तुम तख्लुकूनहु अम नहनुल खालिकून
उस को तुम इंसान बनाते हो या हम बनाने वाले हैं
60. नहनु क़द्दरना बय्नकुमुल मौता वमा नहनु बिमस्बूकीन
हम ने ही तुम्हारे लिए मरना तय किया है (कि हर शख्स पर मौत आती है) और हम उस बात से आजिज़ नहीं हैं
61. अला अन नुबददिला अम्सालकुम व नुन्शिअकुम फ़ी माला तअ’लमून
कि तुम्हारी जगह तुम्हारे जैसे किसी और को ले आयेंगे और तुम को वहां उठा खड़ा करेंगे, जिस का तुम को कोई भी इल्म नहीं
62. व लक़द अलिम्तुमुन नश अतल ऊला फलौला तज़क करून
और तुम तो पहली पैदाइश को जानते ही हो तो क्यूँ सबक़ नहीं लेते
63. अफा रअय्तुम मा तहरुसून
देखो तो सही कि तुम जो कुछ बोते हो
64. अ अन्तुम तजर उनहू अम नहनुज़ जारिऊन
उसको तुम उगाते हो या हम उगाते हो
65. लौ नशाऊ लजा अल्नाहु हुतामन फज़ल तुम तफक्कहून
अगर हम चाहें तो उसको रेज़ा रेज़ा कर डालें फिर तुम बातें बनाते रह जाओ
66. इन्ना ल मुगरमून
( तुम कहने लगो : ) कि हम पर तो तावान पड़ गया
67. बल नहनु महरूमून
बल्कि हम बड़े बदनसीब हैं
68. अफा रअय्तुमुल माअल्लज़ी तशरबून
फिर बताओ तो सही कि जिस पानी को तुम पीते हो
69. अ अन्तुम अन्ज़ल्तुमूहु मिनल मुज्नि अम नहनुल मुन्ज़िलून
उसको बादल से तुंम बरसाते हो या हम बरसाते हैं
70. वलौ नशाऊ ज अल्नाहू उजाजन फलौला तश्कुरून
अगर हम चाहें तो उसको खारा कर दें फिर तुम शुक्र क्यूँ नहीं करते
71. अफा रअय्तुमुन नारल लती तूरून
फिर देखो तो सही जो आग तुम सुलगाते हो
72. अ अन्तुम अनश’अतुम शजरतहा अम नहनुल मुन्शिऊन
उसके दरख़्त को तुम ने पैदा किया है या हम ने ?
73. नहनु जअल्नाहा तज्किरतव व मताअल लिल मुक्वीन
हम ने उसको याद दिहानी करने वाला और मुसाफिरों के लिए नफाबख्श बनाया है
74. फ़सब्बिह बिस्मि रब्बिकल अज़ीम
तो आप अपने अज़मत वाले परवरदिगार के नाम की पाकी बयान कीजिये
75. फला उक्सिमु बि मवाक़िइन नुजूम
तो अब मैं उन जगहों की क़सम खाकर कहता हूँ जहाँ सितारे गिरते हैं
76. व इन्नहू ल क़समुल लौ तअ’लमूना अज़ीम
और यक़ीनन अगर तुम जानो तो ये बहुत बड़ी क़सम है
77. इन्नहू लकुर आनून करीम
बेशक ये बड़ा ही काबिले एहतराम क़ुरान है
78. फ़ी किताबिम मक्नून
जो एक महफ़ूज़ किताब में पहले से मौजूद है
79. ला यमस्सुहू इल्लल मुतह हरून
इस को सिर्फ़ वही हाथ लगा सकता है जो खूब पाक साफ़ हो
80. तन्जीलुम मिर रब्बिल आलमीन
ये तमाम आलम के परवरदिगार की तरफ़ से उतारा हुआ है
81. अफा बिहाज़ल हदीसि अन्तुम मुद हिनून
क्या तुम इस कलाम के परवरदिगार का इनकार करते हो ?
82. व तज अलूना रिज्क़कुम अन्नकुम तुकज्ज़िबून
और इस के झुटलाने को ही अपना मशगला बना रखा है
83. फलौला इज़ा बला गतिल हुल्कूम
तो जब जान गले तक आ पहुँचती है
84. व अन्तुम ही नइजिन तन्ज़ुरून
और तुम उस वक़्त ( मरने वाले को ) देख रहे होते हो
85. व नहनु अकरबु इलैहि मिन्कुम वला किलला तुब्सिरून
और हम तुम से ज़्यादा उस से क़रीब हैं हालाँकि तुम नहीं देखते
86 फ़लौला इन कुन्तुम गैरा मदीनीन
अगर तुम किसी और के क़ाबू में नहीं हो तो
87. तर जिऊनहा इन कुन्तुम सदिकीन
तो उस जान को वापस नहीं क्यूँ नहीं ले आते अगर तुम सच्चे हो ?
88. फअम्मा इन कान मिनल मुक़र्रबीन
तो अगर मरने वाला खुदा के मुक़र्रिब बन्दों में से है
89. फ़ रौहुव व रैहानुव व जन्नतु नईम
तो (उस के लिए) आराम ही आराम, ख़ुशबू ही ख़ुशबू और नेअमत भरी जन्नत है
90. व अम्मा इन कान मिन अस्हाबिल यमीन
और अगर वो दाहिनी तरफ़ वालों में से है
91. फ़ सलामुल लका मिन अस्हाबिल यमीन
तो ( उस से कहा जायेगा 🙂 तेरे लिए सलामती है कि तू दायें तरफ़ वालों में से है
92. व अम्मा इन कान मिनल मुकज्ज़िबीनज़ जाल लीन
और अगर वो झुटलाने वाले गुमराह लोगों में से था
93. फ नुज़ुलुम मिन हमीम
तो खौलते हुए पानी से मेज़बानी होगी
94. व तस्लियतु जहीम
और (उसे) दोज़ख़ में दाख़िल होना होगा
95. इन्ना हाज़ा लहुवा हक्कुल यक़ीन
बेशक ये यक़ीनी बात है
96. फ़ सब्बिह बिस्मि रब्बिकल अज़ीम
बस आप अपने रब के नाम की तस्बीह किये जाइए जो बड़ी अजमतों वाला है
English
Bismillaahir Rahmaanir Raheem
Izaa waqa'atil waaqi'ah
Laisa liwaq'atihaa kaazibah
Khafidatur raafi'ah
Izaa rujjatil ardu rajjaa
Wa bussatil jibaalu bassaa
Fakaanat habaaa'am mumbassaa
Wa kuntum azwaajan salaasah
Fa as haabul maimanati maaa as haabul maimanah
Wa as haabul mash'amati maaa as haabul mash'amah
Wassaabiqoonas saabiqoon
Ulaaa'ikal muqarraboon
Fee Jannaatin Na'eem
Sullatum minal awwaleen
Wa qaleelum minal aa khireen
'Alaa sururim mawdoonah
Muttaki'eena 'alaihaa mutaqabileen
Yatoofu 'alaihim wildaa num mukhalladoon
Bi akwaabinw wa abaareeq, wa kaasim mim ma'een
Laa yusadda'oona 'anhaa wa laa yunzifoon
Wa faakihatim mimmaa yatakhaiyaroon
Wa lahmi tairim mimmaa yashtahoon
Wa hoorun'een
Ka amsaalil lu'lu'il maknoon
Jazaaa'am bimaa kaanoo ya'maloon
Laa yasma'oona feehaa laghwanw wa laa taaseemaa
Illaa qeelan salaaman salaamaa
Wa as haabul yameeni maaa as haabul Yameen
Fee sidrim makhdood
Wa talhim mandood
Wa zillim mamdood
Wa maaa'im maskoob
Wa faakihatin kaseerah
Laa maqtoo'atinw wa laa mamnoo'ah
Wa furushim marfoo'ah
Innaaa anshaanaahunna inshaaa'aa
Faja'alnaahunna abkaaraa
'Uruban atraabaa
Li as haabil yameen
Sullatum minal awwa leen
Wa sullatum minal aakhireen
Wa as haabush shimaali maaa as haabush shimaal
Fee samoominw wa hameem
Wa zillim miny yahmoom
Laa baaridinw wa laa kareem
Innahum kaanoo qabla zaalika mutrafeen
Wa kaanoo yusirroona 'alal hinsil 'azeem
Wa kaanoo yaqooloona a'izaa mitnaa wa kunnaa turaabanw wa izaaman'ainnaa lamab'oosoon
Awa aabaaa'unal awwaloon
Qul innal awwaleena wal aakhireen
Lamajmoo'oona ilaa meeqaati yawmim ma'loom
summa innakum ayyuhad daaalloonal mukazziboon
La aakiloona min shaja rim min zaqqoom
Famaali'oona minhal butoon
Fashaariboona 'alaihi minal hameem
Fashaariboona shurbal heem
Haazaa nuzuluhum yawmad deen
Nahnu khalaqnaakum falaw laa tusaddiqoon
Afara'aytum maa tumnoon
'A-antum takhluqoo nahooo am nahnul khaaliqoon
Nahnu qaddarnaa baina kumul mawta wa maa nahnu bimasbooqeen
'Alaaa an nubaddila amsaalakum wa nunshi'akum fee maa laa ta'lamoon
Wa laqad 'alimtumun nash atal oolaa falaw laa tazakkaroon
Afara'aytum maa tahrusoon
'A-antum tazra'oonahooo am nahnuz zaari'ooon
Law nashaaa'u laja'al naahu hutaaman fazaltum tafakkahoon
Innaa lamughramoon
Bal nahnu mahroomoon
Afara'aytumul maaa'allazee tashraboon
'A-antum anzaltumoohu minal muzni am nahnul munziloon
Law nashaaa'u ja'alnaahu ujaajan falaw laa tashkuroon
Afara'aytumun naaral latee tooroon
'A-antum anshaatum shajaratahaaa am nahnul munshi'oon
Nahnu ja'alnaahaa tazkira tanw wa mataa'al lilmuqween
Fasabbih bismi Rabbikal 'azeem
Falaa uqsimu bimaawaa qi'innujoom
Wa innahoo laqasamul lawta'lamoona'azeem
Innahoo la quraanun kareem
Fee kitaabim maknoon
Laa yamassuhooo illal mutahharoon
Tanzeelum mir Rabbil'aalameen
Afabihaazal hadeesi antum mudhinoon
Wa taj'aloona rizqakum annakum tukazziboon
Falaw laaa izaa balaghatil hulqoom
Wa antum heena'izin tanzuroon
Wa nahnu aqrabu ilaihi minkum wa laakil laa tubsiroon
Falaw laaa in kuntum ghaira madeeneen
Tarji'oonahaaa in kuntum saadiqeen
Fa ammaaa in kaana minal muqarrabeen
Farawhunw wa raihaa nunw wa jannatu na'eem
Wa ammaaa in kaana min as haabil yameen
Fasalaamul laka min as haabil yameen
Wa ammaaa in kaana minal mukazzibeenad daaalleen
Fanuzulum min hameem
Wa tasliyatu jaheem
Inna haaza lahuwa haqqul yaqeen
Fasabbih bismi rabbikal 'azeem
Arabic
بِسْمِ اللَّهِ الرَّحْمَٰنِ الرَّحِيمِ
1. إِذَا وَقَعَتِ الْوَاقِعَةُ
2. لَيْسَ لِوَقْعَتِهَا كَاذِبَةٌ
3. خَافِضَةٌ رَافِعَةٌ
4. إِذَا رُجَّتِ الْأَرْضُ رَجًّا
5. وَبُسَّتِ الْجِبَالُ بَسًّا
6. فَكَانَتْ هَبَاءً مُنْبَثًّا
7. وَكُنْتُمْ أَزْوَاجًا ثَلَاثَةً
8. فَأَصْحَابُ الْمَيْمَنَةِ مَا أَصْحَابُ الْمَيْمَنَةِ
9. وَأَصْحَابُ الْمَشْأَمَةِ مَا أَصْحَابُ الْمَشْأَمَةِ
10. وَالسَّابِقُونَ السَّابِقُونَ
11. أُولَٰئِكَ الْمُقَرَّبُونَ
12. فِي جَنَّاتِ النَّعِيمِ
13. ثُلَّةٌ مِنَ الْأَوَّلِينَ
14. وَقَلِيلٌ مِنَ الْآخِرِينَ
15. عَلَىٰ سُرُرٍ مَوْضُونَةٍ
16. مُتَّكِئِينَ عَلَيْهَا مُتَقَابِلِينَ
17. يَطُوفُ عَلَيْهِمْ وِلْدَانٌ مُخَلَّدُونَ
18. بِأَكْوَابٍ وَأَبَارِيقَ وَكَأْسٍ مِنْ مَعِينٍ
19. لَا يُصَدَّعُونَ عَنْهَا وَلَا يُنْزِفُونَ
20. وَفَاكِهَةٍ مِمَّا يَتَخَيَّرُونَ
21. وَلَحْمِ طَيْرٍ مِمَّا يَشْتَهُونَ
22. وَحُورٌ عِينٌ
23. كَأَمْثَالِ اللُّؤْلُؤِ الْمَكْنُونِ
24. جَزَاءً بِمَا كَانُوا يَعْمَلُونَ
25. لَا يَسْمَعُونَ فِيهَا لَغْوًا وَلَا تَأْثِيمًا
26. إِلَّا قِيلًا سَلَامًا سَلَامًا
27. وَأَصْحَابُ الْيَمِينِ مَا أَصْحَابُ الْيَمِينِ
28. فِي سِدْرٍ مَخْضُودٍ
29. وَطَلْحٍ مَنْضُودٍ
30. وَظِلٍّ مَمْدُودٍ
31. وَمَاءٍ مَسْكُوبٍ
32. وَفَاكِهَةٍ كَثِيرَةٍ
33. لَا مَقْطُوعَةٍ وَلَا مَمْنُوعَةٍ
34. وَفُرُشٍ مَرْفُوعَةٍ
35. إِنَّا أَنْشَأْنَاهُنَّ إِنْشَاءً
36. فَجَعَلْنَاهُنَّ أَبْكَارًا
37. عُرُبًا أَتْرَابًا
38. لِأَصْحَابِ الْيَمِينِ
39. ثُلَّةٌ مِنَ الْأَوَّلِينَ
40. وَثُلَّةٌ مِنَ الْآخِرِينَ
41. وَأَصْحَابُ الشِّمَالِ مَا أَصْحَابُ الشِّمَالِ
42. فِي سَمُومٍ وَحَمِيمٍ
43. وَظِلٍّ مِنْ يَحْمُومٍ
44. لَا بَارِدٍ وَلَا كَرِيمٍ
45. إِنَّهُمْ كَانُوا قَبْلَ ذَٰلِكَ مُتْرَفِينَ
46. وَكَانُوا يُصِرُّونَ عَلَى الْحِنْثِ الْعَظِيمِ
47. وَكَانُوا يَقُولُونَ أَئِذَا مِتْنَا وَكُنَّا تُرَابًا وَعِظَامًا أَإِنَّا لَمَبْعُوثُونَ
48. أَوَآبَاؤُنَا الْأَوَّلُونَ
49. قُلْ إِنَّ الْأَوَّلِينَ وَالْآخِرِينَ
50. لَمَجْمُوعُونَ إِلَىٰ مِيقَاتِ يَوْمٍ مَعْلُومٍ
51. ثُمَّ إِنَّكُمْ أَيُّهَا الضَّالُّونَ الْمُكَذِّبُونَ
52. لَآكِلُونَ مِنْ شَجَرٍ مِنْ زَقُّومٍ
53. فَمَالِئُونَ مِنْهَا الْبُطُونَ
54. فَشَارِبُونَ عَلَيْهِ مِنَ الْحَمِيمِ
55. فَشَارِبُونَ شُرْبَ الْهِيمِ
56. هَٰذَا نُزُلُهُمْ يَوْمَ الدِّينِ
57. نَحْنُ خَلَقْنَاكُمْ فَلَوْلَا تُصَدِّقُونَ
58. أَفَرَأَيْتُمْ مَا تُمْنُونَ
59. أَأَنْتُمْ تَخْلُقُونَهُ أَمْ نَحْنُ الْخَالِقُونَ
60. نَحْنُ قَدَّرْنَا بَيْنَكُمُ الْمَوْتَ وَمَا نَحْنُ بِمَسْبُوقِينَ
61. عَلَىٰ أَنْ نُبَدِّلَ أَمْثَالَكُمْ وَنُنْشِئَكُمْ فِي مَا لَا تَعْلَمُونَ
62. وَلَقَدْ عَلِمْتُمُ النَّشْأَةَ الْأُولَىٰ فَلَوْلَا تَذَكَّرُونَ
63. أَفَرَأَيْتُمْ مَا تَحْرُثُونَ
64. أَأَنْتُمْ تَزْرَعُونَهُ أَمْ نَحْنُ الزَّارِعُونَ
65. لَوْ نَشَاءُ لَجَعَلْنَاهُ حُطَامًا فَظَلْتُمْ تَفَكَّهُونَ
66. إِنَّا لَمُغْرَمُونَ
67. بَلْ نَحْنُ مَحْرُومُونَ
68. أَفَرَأَيْتُمُ الْمَاءَ الَّذِي تَشْرَبُونَ
69. أَأَنْتُمْ أَنْزَلْتُمُوهُ مِنَ الْمُزْنِ أَمْ نَحْنُ الْمُنْزِلُونَ
70. لَوْ نَشَاءُ جَعَلْنَاهُ أُجَاجًا فَلَوْلَا تَشْكُرُونَ
71. أَفَرَأَيْتُمُ النَّارَ الَّتِي تُورُونَ
72. أَأَنْتُمْ أَنْشَأْتُمْ شَجَرَتَهَا أَمْ نَحْنُ الْمُنْشِئُونَ
73. نَحْنُ جَعَلْنَاهَا تَذْكِرَةً وَمَتَاعًا لِلْمُقْوِينَ
74. فَسَبِّحْ بِاسْمِ رَبِّكَ الْعَظِيمِ
75. فَلَا أُقْسِمُ بِمَوَاقِعِ النُّجُومِ
76. وَإِنَّهُ لَقَسَمٌ لَوْ تَعْلَمُونَ عَظِيمٌ
77. إِنَّهُ لَقُرْآنٌ كَرِيمٌ
78. فِي كِتَابٍ مَكْنُونٍ
79. لَا يَمَسُّهُ إِلَّا الْمُطَهَّرُونَ
80. تَنْزِيلٌ مِنْ رَبِّ الْعَالَمِينَ
81. أَفَبِهَٰذَا الْحَدِيثِ أَنْتُمْ مُدْهِنُونَ
82. وَتَجْعَلُونَ رِزْقَكُمْ أَنَّكُمْ تُكَذِّبُونَ
83. فَلَوْلَا إِذَا بَلَغَتِ الْحُلْقُومَ
84. وَأَنْتُمْ حِينَئِذٍ تَنْظُرُونَ
85. وَنَحْنُ أَقْرَبُ إِلَيْهِ مِنْكُمْ وَلَٰكِنْ لَا تُبْصِرُونَ
86. فَلَوْلَا إِنْ كُنْتُمْ غَيْرَ مَدِينِينَ
87. تَرْجِعُونَهَا إِنْ كُنْتُمْ صَادِقِينَ
88. فَأَمَّا إِنْ كَانَ مِنَ الْمُقَرَّبِينَ
89. فَرَوْحٌ وَرَيْحَانٌ وَجَنَّتُ نَعِيمٍ
90. وَأَمَّا إِنْ كَانَ مِنْ أَصْحَابِ الْيَمِينِ
91. فَسَلَامٌ لَكَ مِنْ أَصْحَابِ الْيَمِينِ
92. وَأَمَّا إِنْ كَانَ مِنَ الْمُكَذِّبِينَ الضَّالِّينَ
93. فَنُزُلٌ مِنْ حَمِيمٍ
94. وَتَصْلِيَةُ جَحِيمٍ
95. إِنَّ هَٰذَا لَهُوَ حَقُّ الْيَقِينِ
96. فَسَبِّحْ بِاسْمِ رَبِّكَ الْعَظِيمِ