pesh-e-haq muzda shafaa'at ka sunaate jaaenge
aap rote jaaenge ham ko hasaate jaaenge
dil nikal jaane ki jaa hai, aah ! kin ankho.n se wo
hamse pyaaso.n ke liye dariya bahaate jaaeinge
aap rote jaaenge ham ko hasaate jaaenge
haa.n chalo hasrat-zado.n, sunte hei.n wo din aaj hai
thi KHabar jiski ke wo jalwa dikhaate jaaeinge
haa.n chalo hasrat-zado.n, sunte hei.n wo din aaj hai
thi KHabar jiski ke wo jalwa dikhaate jaaeinge
aap rote jaaenge ham ko hasaate jaaenge
kuchh KHabar bhi hai fakiro.n ! aaj wo din hai ke wo
ne'amat-e-KHuld apne sadqe mei.n lutaate jaaeinge
kuchh KHabar bhi hai fakiro.n ! aaj wo din hai ke wo
ne'amat-e-KHuld apne sadqe mei.n lutaate jaaeinge
aap rote jaaenge ham ko hasaate jaaenge
wus'atei.n di hei.n KHuda ne daaman-e-mahboob ko
jurm khulte jaaeinge aur wo chhupaate jaaeinge
wus'atei.n di hei.n KHuda ne daaman-e-mahboob ko
jurm khulte jaaeinge aur wo chhupaate jaaeinge
aap rote jaaenge ham ko hasaate jaaenge
lo wo aae muskuraate ham asiro.n ki taraf
khirman-e-isyaa.n pe wo bijli giraate jaaeinge
aap rote jaaenge ham ko hasaate jaaenge
aankh kholo gham-zado.n ! dekho wo giryaa.n aae hei.n
loh-e-dil se naksh-e-gham ko ab mitaate jaaeinge
lo wo aae muskuraate ham asiro.n ki taraf
khirman-e-isyaa.n pe wo bijli giraate jaaeinge
aap rote jaaenge ham ko hasaate jaaenge
aankh kholo gham-zado.n ! dekho wo giryaa.n aae hei.n
loh-e-dil se naksh-e-gham ko ab mitaate jaaeinge
aap rote jaaenge ham ko hasaate jaaenge
sarwar-e-dee.n lijiye apne naatuwaano.n ki KHabar
nafs-o-shaitaa.n saiyyada ! kab tak dabaate jaaeinge
aap rote jaaenge ham ko hasaate jaaenge
sarwar-e-dee.n lijiye apne naatuwaano.n ki KHabar
nafs-o-shaitaa.n saiyyada ! kab tak dabaate jaaeinge
aap rote jaaenge ham ko hasaate jaaenge
hashr tak daaleinge ham paidaaish-e-maula ki dhoom
misl-e-faaras najd ke kil'e Giraate Jaaeinge
aap rote jaaenge ham ko hasaate jaaenge
misl-e-faaras najd ke kil'e Giraate Jaaeinge
aap rote jaaenge ham ko hasaate jaaenge
khaak ho jaae 'adoo jal kar magar ham to raza
Dam mein Jab Tak Dam Hai Zikr Unka Sunaate Jaaeinge
Dam mein Jab Tak Dam Hai Zikr Unka Sunaate Jaaeinge
aap rote jaaenge ham ko hasaate jaaenge
पेश-ए-हक़ मुज़्दा शफ़ा'अत का सुनाते जाएंगे
आप रोते जाएंगे हमको हसाते जाएंगे
दिल निकल जाने की जा है आह ! किन आँखों से वो
हमसे प्यासों के लिए दरिया बहाते जाएंगे
लो वो आये मुस्कुराते हम असीरों की तरफ
ख़िरमन-ए-इस्यां पे वो बिजली गिराते जाएंगे
आप रोते जाएंगे हमको हसाते जाएंगे
आँख खोलो ग़मज़दों देखो वो गिरयां आये हैं
लोह-ए-दिल से नक़्श-ए-ग़म को अब मिटाते जाएंगे
आप रोते जाएंगे हमको हसाते जाएंगे
सरवर-ए-दीं लीजिये अपने नातुवानों की खबर
नफ़्सों शैतां सैय्यदा कब तक दबाते जाएंगे
आप रोते जाएंगे हमको हसाते जाएंगे
हश्र तक डालेंगे हम पैदाइशे मौला की धूम
मिस्ले फारस नज्द के किलए गिराते जाएंगे
आप रोते जाएंगे हमको हसाते जाएंगे
आप रोते जाएंगे हमको हसाते जाएंगे
दिल निकल जाने की जा है आह ! किन आँखों से वो
हमसे प्यासों के लिए दरिया बहाते जाएंगे
आप रोते जाएंगे हमको हसाते जाएंगे
हाँ चलो हसरत-ज़दों सुनते हैं वो दिन आज है
थी खबर जिसकी के वो जलवा दिखते जाएंगे
आप रोते जाएंगे हमको हसाते जाएंगे
कुछ खबर भी है फकीरों आज वो दिन है के वो
ने'अमत-ए-ख़ुल्द अपने सदक़े में लुटाते जाएंगे
आप रोते जाएंगे हमको हसाते जाएंगे
वुस'अतें दी हैं ख़ुदा ने दामन-ए-महबूब को
जुर्म खुलते जाएंगे और वो छुपाते जाएंगे
आप रोते जाएंगे हमको हसाते जाएंगे
हाँ चलो हसरत-ज़दों सुनते हैं वो दिन आज है
थी खबर जिसकी के वो जलवा दिखते जाएंगे
आप रोते जाएंगे हमको हसाते जाएंगे
कुछ खबर भी है फकीरों आज वो दिन है के वो
ने'अमत-ए-ख़ुल्द अपने सदक़े में लुटाते जाएंगे
आप रोते जाएंगे हमको हसाते जाएंगे
वुस'अतें दी हैं ख़ुदा ने दामन-ए-महबूब को
जुर्म खुलते जाएंगे और वो छुपाते जाएंगे
आप रोते जाएंगे हमको हसाते जाएंगे
लो वो आये मुस्कुराते हम असीरों की तरफ
ख़िरमन-ए-इस्यां पे वो बिजली गिराते जाएंगे
आप रोते जाएंगे हमको हसाते जाएंगे
आँख खोलो ग़मज़दों देखो वो गिरयां आये हैं
लोह-ए-दिल से नक़्श-ए-ग़म को अब मिटाते जाएंगे
आप रोते जाएंगे हमको हसाते जाएंगे
सरवर-ए-दीं लीजिये अपने नातुवानों की खबर
नफ़्सों शैतां सैय्यदा कब तक दबाते जाएंगे
आप रोते जाएंगे हमको हसाते जाएंगे
हश्र तक डालेंगे हम पैदाइशे मौला की धूम
मिस्ले फारस नज्द के किलए गिराते जाएंगे
आप रोते जाएंगे हमको हसाते जाएंगे